https://template.vuinsider.com/

Page Nav

HIDE

Breaking News:

latest

Ads Place

जटायु जैसा भक्त और भरत जैसा भाई मिलना मुश्किल -गोपालानंद महाराज

न्यूज डेस्क खबर आर पार  कासिमाबाद। गाजीपुर   स्थानीय चौक पर संगीतमय नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन सोमवार को श्रीराम चरित मानस के आदर्श ...

न्यूज डेस्क खबर आर पार 
कासिमाबाद। गाजीपुर 
 स्थानीय चौक पर संगीतमय नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन सोमवार को श्रीराम चरित मानस के आदर्श पात्र जटायु का वर्णन करते हुए गोपालानंद महाराज जी ने कहा कि जटायु जैसा मृत्यु अभी तक किसी को नहीं प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि हमारा कोई ग्रंथ जटायु जैसा मृत्यु और मोक्ष पाने वाला रामायण और महाभारत में कोई पात्र नहीं है । जटायु की मृत्यु के समय से लेकर अंतिम संस्कार के समय तक खुद भगवान श्री राम उपस्थित रहकर  अपने हाथों किया था । यह अवसर आज तक किसी को  नहीं प्राप्त हुआ है न होगा ।
महाराज जी ने बताया कि जटायु जैसा भक्त मिलना मुश्किल है । उन्होंने महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि भीष्म पितामह की बांड़ सैया के सामने खुद भगवान श्री कृष्ण खड़ा  थे । लेकिन मरते समय भगवान श्री कृष्ण नहीं रहे । उन्होंने कहा कि इतिहास में जटायु जैसा मृत्यु और मोक्ष किसी को नहीं मिला है । कथा में भरत के चरित्र प्रसंग  पर कहा कि भरत एक ऐसे भाई थे जो अपने ज्येष्ठ भ्राता प्रभु श्रीराम को भाई के स्थान पर उन्हें अपना स्वामी मानते थे । यही नहीं भरत जी स्वयं को उनका सेवक ही ‌मानें । उनका मानना था कि जीवन में सेवक को कभी भी अपने स्वामी की बराबरी नहीं करनी चाहिए । महाराज जी ने बताया कि प्रभु श्री राम के वनगमन के बाद तमाम प्रयासों के बावजूद भी भरत जी अयोध्या की राज सत्ता को कदापि स्वीकार नहीं किया। उनका यह मानना था कि जीवन में जब भी कोई पद मिले चाहे वह राजपद ही क्यों न हो पद प्राप्त करने से पहले व्यक्ति को यह विचार करना चाहिए कि क्या मुझमें इस पद को प्राप्त करने की पात्रता है अथवा नहीं। अगर पात्रता नहीं है तो प्राप्त हुआ वह पद चाहे कितना ही महान क्यों न हो वह स्वयं समाप्त हो जाया करता है। कथा में आज के मुख्य सपत्नीक यजमान देवेंद्र सिंह द्वारा व्यासपीठ, पवित्र रामचरित मानस एवं कथा मंडप की आरती पूजन आदि के बाद कथा आरंभ हुई । आज की कथा में प्रमुख रूप से राजेश सिंह पप्पू, डॉ आरपी सिंह,उदय नारायण सिंह, मुरारी सिंह, गुड्डू मिश्रा, रामजी सिंह, जगदीश सिंह, प्रभुनाथ कुशवाहा, रामायण चौहान आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

ليست هناك تعليقات

Latest Articles