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कर्म किए बिना फल की इच्छा न करें - गोपालानंद जी महाराज

कासिमाबाद संगीत मय राम कथा के छठवें दिन शनिवार को  सीता स्वयंवर  प्रसंग पर बोलते हुए गोपाला नंद जी महाराज  ने कहा कि बिना कर्म किए कुछ भी मि...

कासिमाबाद
संगीत मय राम कथा के छठवें दिन शनिवार को  सीता स्वयंवर  प्रसंग पर बोलते हुए गोपाला नंद जी महाराज  ने कहा कि बिना कर्म किए कुछ भी मिलने वाला नहीं है। इसी प्रकार बिना सत्संग का ज्ञान नहीं मिलने वाला है। 

उन्होंने कहा कि जब चारों भाई अयोध्या पहुंचे तो राजा दशरथ प्रफुल्लित हो उठे  । एक दिन गुरु विश्वामित्र उनके दरबार में पहुंचे और राजा दशरथ से यज्ञ की रक्षा के लिए उनके दोनों पुत्रों राम और लक्ष्मण को मांगा। गुरु के श्रसाथ दोनों भाई जंगल की तरफ निकल पड़े।  श्री राम ने ताड़़का सहित तमाम राक्षसों का वध कर ऋषि मुनियों को भय  मुक्त किया । जनक ने अपनी पुत्री सीता के लिए स्वयंवर रचा तो उसका न्योता गुरु विश्वामित्र के यहाँ भी पहुंचा । निश्चित तिथि पर गुरु दोनों राजकुमारों के साथ निकाला नगर पहुंचे तो उनके रूप और सौंदर्य को देख नगर वासी मंत्र मुग्ध हो गए । स्वयंवर में तमाम देशों के राजा और असुर पहुंचे थे ।  लेकिन राम और लक्ष्मण के प्रवेश करते ही सब उनके रूप पर मोहित हो गए ।  एक-एक कर सभी वीरों ने शिव धनुष तोड़ने का प्रयास किया। लेकिन तोड़ने की बात तो दूर उसे हिला भी नहीं सका ।  पहले जनक के मन की ब्यथा को जानकर गुरु ने राम को आज्ञा दी तो उन्होंने सहज भाव से ही प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया तो शिव धनुष दो खंडों में विभक्त हो गया। 
गोपालानंद महाराज जी ने कहा की सीता स्वयंवर के बाद मिथिला में चारों तरफ खुशी का माहौल था ।  हर तरफ मंगल गीत गाए जा रहे थे । उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो हर काम आसानी से हो सकता है । कर्म करना कभी व्यर्थ नहीं होता है ।

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